कबीर जी का गुरू-भजन | Kabir ji ka Guru-Bhajan| The Spiritual Indians.

                 
               कबीर जी का गुरू-भजन
गुरूबिन कौन बतावे बाट। बडा बिकट यमघाट।। १।।
भ्रांतिकी बाडी नदियाँ बिचमो। अहंकारी लाट।। २।।
मद मत्सर की धार बरसत। माया पवन घनदाट।। ३।।
काम क्रोध दो पर्वत ठाडे। लोभ चोर संघात।। ४।।
कहत कबीरा सुन मेरे गुनिया। क्यो करना बोभाट।। ५।।

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