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Showing posts from February, 2020

गणपति अथर्वशीर्ष | Ganapati Atharvashirsha| The Spiritual Indians.

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     गणपति अथर्वशीर्ष ध्यानमंत्र: वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभः।  निर्विघ्न कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।। शांति मंत्र: ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम  देवाःभद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा। स्थिरैःअंगैःतुष्टुवांसःतनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः।। ॐस्वस्तिन इन्द्रो वृध्दश्रवाः, स्वस्ति नः पूषाः विश्ववेदाः।  स्वस्तिनस्तार्क्ष्योः अरिष्टनेमिः स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु।।                        ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।   मूल मंत्र  ः ॐ नमस्ते गणपतये।  त्वमेव प्रत्यक्ष तत्त्वमसि।  त्वमेव केवलं कर्तासि।  त्वमेव केवलं धर्तासि।  त्वमेव केवलं हर्तासि।  त्वमेव सर्वंखल्विदं ब्रह्मासि।  त्वं साक्षादात्मासिनित्यं ।। १।। ऋतंवच्मि।सत्यंवचच्मि ।। २।। अव त्वं मां।। अव वक्तारं।। अव श्रोतारं। अवदातारं।। अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।। अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।। अवोत्तरातात्।। अव दक्षिण...

ध्यान- शिव प्रार्थना और शिवरक्षा कवच-संस्कृत में | Dyan - Shiv Prarthana and Shivraksha Kavach| The Spiritual Indians .

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।। ध्यान- शिव प्रार्थना।।  शिव हर शंकर नमामि शंकर शिव शंकर शंभो। हे गिरीजापती भवानी शंकर शिव शंकर शंभो।।

व्दादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र - संस्कृत | Dwadash Jyotirlinga Stotra - Sanskrit| The Spiritual Indians

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                       द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र            सौराष्ट्रे सोमनाथ च श्री शैल्येमल्लिकार्जुनम्। उज्ज्ययिन्यां महाकालम् ओंकार ममलेंश्वरम्।। परल्या वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम् ।  सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।। वाराणस्यां तु विश्वेश त्र्यंबकमं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारम् घृष्णेशं तु शिवालय।। एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायंप्रातः पठेन्नरः।  सप्तजन्मं कृत पापं स्मरणेन  विनश्यति।।                      

श्री गजानन महाराजांची आरती आणि श्री गजानन महाराज बावन्नी| Shree Gajanan Maharaj Aarti ani Shree Gajanan Maharaj Bavanni |The Spiritual Indians.

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  ।। श्री गजानन महाराजांची आरती ।। जय जय सतचितस्वरूपा स्वामी गणराया l अवतरलासी भूवर जड़ -मूढ  ताराया ll जयदेव जयदेव ll धृ.ll निर्गुण ब्रह्म सनातन अव्यय अविनाशी l तें तूं तत्त्व खरोखर नि:संशय  अससी l लीलामात्रे धरिले मानवदेहासी ll १ ll होऊ न देशी त्याची जाणिव तू कवणा  l करुनि 'गणि गण गणात बोते' या भजना l धाता नरहरि गुरुवार तूची सुखसदना l जिकडे पाहावे तिकडे तू दिससी नयना  ll २ ll लीला अनंत केल्या बंकटसदनास l पेटविले त्या अग्नीवाचुनि चिलमेस l क्षणात आणिले जीवन निर्जल वापीस l केला ब्रह्मगिरीच्या गर्वाचा नाश ll ३ ll व्याधी धारून केले कैकां संपन्न l करवियले भक्तालागी विट्ठलदर्शन l भवसिंधु हां तरण्या नौका तव चरण l स्वामी दासगणूचे मान्य करा वचन ll ४ ll ।। श्री गजानन महाराज बावन्नी ।। जय जय सद्गुरू गजानना । रक्षक तुची भक्तजना ।।१।। निर्गुण तू परमात्मा तू । सगुण रूपात गजानन तू ।।२।। सदेह तू परि विदेह तू । देह असूनि देहातीत तू ।।३।। माघ वद्य सप्तमी दिनी । ...

कबीर जी का गुरू-भजन | Kabir ji ka Guru-Bhajan| The Spiritual Indians.

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                                  कबीर जी का गुरू-भजन गुरूबिन कौन बतावे बाट। बडा बिकट यमघाट।। १।। भ्रांतिकी बाडी नदियाँ बिचमो। अहंकारी लाट।। २।। मद मत्सर की धार बरसत। माया पवन घनदाट।। ३।। काम क्रोध दो पर्वत ठाडे। लोभ चोर संघात।। ४।। कहत कबीरा सुन मेरे गुनिया। क्यो करना बोभाट।। ५।।

श्री गुरुदेव भजन-माझी देवपूजा | Shree Gurudev Bhajan - Mazhi Dev Pooja |The Spiritual Indians

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                                                                                   ॐ माझी देवपूजा       माझी देवपूजा, देवपूजा। पाय तुझे गुरूराजा।। १।। गुरूचरणाची माती। तीच माझी भागिरथी।। २।। गुरूचरणाचा बिंदू। तोच माझा क्षीरसिंधू।। ३।। गुरुचरणाचे ध्यान। तेच माझे संध्यास्थान।। ४।।  शिव दिन केसरीपायी। सद् गुरू वाचुनी दैवत नाही।। ५।।