श्रीमद्भागवत गीता का ३ रा अध्याय - ११से१५ श्लोक हिंदी अनुवाद के साथ

श्रीमद्भागवत गीता का ३ रा अध्याय - ११से१५ श्लोक हिंदी अनुवाद के साथ देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः। परस्पर भावयन्तु श्रेय परमवाप्स्यथ।। 11।। जब आप स्वर्धम का आचरण करते हुए और उसके फल की इच्छा किए बिना जब कर्म करते रहेंगे तब भगवान आपसे प्रसन्न होगें। तो इसी प्रकार आप कर्म करके भगवान कों प्रसन्न करे और भगवान भी आपकी सारी इच्छायें पूरी करे तो आप भी प्रसन्न हो जाओ। इसी तरह से आप अपने स्वधर्म के अनुसार कर्म करके भगवान को खुश करो और भगवान भी आपकी सारी इच्छाएं पूरी करके आपको खुश करें और आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाएगी तो आप आनंद को प्राप्त कर लो। इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः। तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङत्के स्तेन एव सः ।। 12।। इस प्रकार जब आपकी सारी इच्छा पूरी होने लगे फिर भी आपको आप अपने स्वधर्म के अनुसार काम करते रहना चाहिए। उसे छोड़ना नहीं चाहिए ताकि भगवान आपसे खुश होकर आपकी सारी इच्छाएं पूरी करें और जब आप आपकी सारी इच्छाएं पूरी हो तो आप उससे ज्यादा खुश न...